ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत, परीक्षा से पहले जरूर पढ़ लें

 ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत, परीक्षा से पहले जरूर पढ़ लें


यदि आप UPTET sया किसी भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की तैयारी कर रहे है तो “Bruner Theory of Cognitive Development (ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत) टॉपिक को आपको अच्छे से पढ़ लेना चाहिए। इस टॉपिक से परीक्षाओ मे हमेशा प्रश्न पूछे जाते है इसीलिए इस आर्टिकल मे हम Jerome Bruner Theory Notes तथा इससे परीक्षा मे पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण सवाल शेअर कर रहे है।



जेरोम ब्रूनर का परिचय- About Jerome Bruner



जेरोम ब्रूनर ( 1915 – 2016) –अमेरिका के मनोवैज्ञानिक



संज्ञानात्मक क्षेत्र (स्मृति, स्मरण, चिंतन, तर्क) – मानसिक प्रक्रिया



पुस्तक -शिक्षा की प्रक्रिया



सर्वाधिक महत्व -शिक्षा



जेरोम ब्रूनर अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने संज्ञानात्मक विकास का नया सिद्धांत दिया था, जो कि जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धांत के विकल्प के रूप में पाया जाता है।



जेरोम ब्रूनर संज्ञानात्मक विकास का मॉडल 1956 में किया 1960 ईस्वी में ‘शिक्षा की प्रक्रिया’ नामक पुस्तक लिखी इन्होने गणित पढ़ाने संबंधी प्रमेयो का निर्माण कर शिक्षण सिद्धांतों को विकसित किया\



परिभाषाएं –

.ब्रूनर के अनुसार-



1.”शिक्षण सिद्धांत वह है जिसमें शिक्षक क्या सिखाना चाहता है इसका संबंध अधिगम व्याख्या की वजह विकास से है।”



2.”ब्रूनर ने अपना संज्ञान संबंधी प्रयोग सर्वप्रथम प्रौढो पर किया विद्यालय जाने वाले बालक को पर ,3 साल के बालक को पर तथा अंत में नवजात शिशु पर किया।”


 


Note:– जीन पियाजे वातावरण को अधिक महत्व देते हैं जबकि जेरोम ब्रूनर व्यक्ति पर संस्कृति , सभ्यता और शिक्षा को प्रमुख मानते हैं।



अन्य नाम :–

1.संरचनात्मकता का सिद्धांत।



2.निर्मितवाद का सिद्धांत।



3.अन्वेषण का सिद्धांत।



ब्रूनर के संज्ञानात्मक विकास के स्तर (Stage of Conjugative Development)

इन्होंने संज्ञानात्मक विकास की तीन अवस्थाओं को बताया है :-



1. क्रियात्मक स्तर (Enactive level) 0-2 वर्ष



बालक अपनी अनुभूतियों को गामक प्रयोग द्वारा प्रकट करता है इस अवस्था में भाषा का महत्व ना के बराबर होता है



जैसे-आपको देखकर शिशु का हंसना,दूध की बोतल देखकर हाथ पैर चलाना |





2. प्रतिबिंबात्मक के स्तर (Iconic level)3-7 वर्ष



इस अविधि में बालक अपनी अनुभूति को अपने मन में कुछ दृश्य प्रतिमा प्रकट करता है इस अवस्था में बालक प्रत्यक्षीकरण के माध्यम से सीखता है इसे छायात्मक अवस्था भी कहते हैं।



जैसे-चित्रों , मॉडलों ,चार्ट ,मूर्तियों आदि



3. संकेतात्मक स्तर (symbollic level) 7-15 वर्ष



इस वधि में बालक अपनी अनुभूतियों को ध्वन्यात्मक संकेतों (भाषा) के माध्यम से व्यक्त करता है इस अवस्था में बालक गणित, भाषा तथा तर्क करना सीख जाता है



जैसे – संकेतों से समझना तथा कार्य करना। + ,- ,



ब्रूनर के सिद्धांत की विशेषताएं (Characteristic of Bruner’s theory)

ज्ञान की संरचना (structure of knowledge)

अनुक्रम (sequence)

पुनर्बलन (Reinforcement)

पाठ की संरचना (structure of discipline )

अन्वेषणात्मक सीखना (Discovery learning)

ब्रूनर के सिद्धांत का शिक्षा में योगदान (Contribution of bruner’s theory in education)

भाषा विकास (language development)

शिक्षण विधि (teaching method)

संप्रत्यय विधि (concept)

बौद्धिक विकास (intellectual development)

पाठ्यचर्चा संज्ञानात्मक विकास (curriculum conjugative development)

शिक्षण की नवीन भूमिका (new role of teacher)

अधिगम के सिद्धांतों की व्याख्या (explanation of learning principles)

शैक्षणिक शोध (educational research)

शैक्षिक निहितार्थ (Educational implication)

1.अच्छा मैं आगे की जटिलता ज्ञान को पीछे की सरल जान से जोड़ते हुए एवं उनकी पुनरावृत्ति करते हुए आगे बढ़ना चाहिए ,ताकि बच्चे अपने पूर्व ज्ञान के आधार पर बेहतर तरीके से सीख सकें ।



2.अन्वेषण आत्मक अधिगम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बच्चों में पर्यावरण से अंतः क्रिया को बढ़ावा देना चाहिए ।



जेरोम ब्रूनर संज्ञानात्मक सिद्धांत पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्न – Jerome Bruner Theory Based Important Questions for CTET and UPTET Exam
Q1. आयु की किसी भी पड़ाव पर बालकों को कुछ भी सिखाया जा सकता है , यह कथन किसका है-



a) जीन पियाजे



b) जेरोम ब्रूनर



c) एरिकसन



d) वाटसन



Ans- (b)



Q2. जेरोम ब्रूनर का संज्ञानात्मक विकास की अवस्थाएं बताई है ?



a) 2



b) 3



c) 4



d) 6



Ans- (b)



Q3. “बालक नग्न बंदर की तरह नहीं , बल्कि बालक संस्कृति होता है” यह कथन किसका है –



a) जीन पियाजे



b) थार्नडाइक



c) जेरोम ब्रूनर



d) वॉटसन



Ans-(c)



Q4. ब्रूनर के सिद्धांत की शिक्षा में उपयोगिता है?



a) बालक के जीवन से जोड़कर शिक्षण कराना चाहिए



b) बालक को कक्षा में क्रियाशील तत्पर रखना चाहिए



c) विश्लेषणात्मक चिंतन की तुलना में आकस्मिक विचारों को महत्व देना चाहिए



d) उपरोक्त सभी



Ans-(d)



Q5. निम्न में से किस मनोवैज्ञानिक ने अपना सिद्धांत जीन प्याजे को आधार बनाकर प्रस्तुत किया ?



a) कार्ल रोजर्स



b) बंडूरा



c) जेरोम ब्रूनर



d) इनमें से कोई नहीं



Ans-(c)



6. आधुनिक संज्ञानवादी मनोवैज्ञानिक किसे माना जाता है ?



a) जेरोम ब्रूनर



b) प्याजे



c) एरिकसन



d) हल



Ans- (a)



7. जेरोम ब्रूनर ने संज्ञानात्मक विकास की प्रथम अवस्था कौन सी बताई है ?



a) प्रतिबिंबात्मक अवस्था



b) क्रिया निर्माण



c) प्रतीकात्मक



d) उपरोक्त सभी



Ans- (b)



8. जेरोम ब्रूनर ने बालकों की किस व्यवहार पर अपना अध्ययन किया ?



a) शिशु अपनी आवश्यकताओं अनुभूतियों को कैसे प्रकट करता है


 
b) शैशव अवस्था एवं बाल्यावस्था में चिंतन का स्वरूप कैसा होता है



c) बालक में नैतिक विकास दंड और पुरस्कार के द्वारा होता है



d) केवल एक और दो सही है



Ans-(d)